श्री हनुमान चालीसा का पाठ गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान जी की महिमा और उनके प्रति समर्पण का एक अमूल्य स्तोत्र है। इसे न केवल हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति पाने के लिए भी अत्यंत प्रभावी माना जाता है। श्री हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से मन की एकाग्रता, आत्मविश्वास, और आत्मशक्ति में वृद्धि होती है, साथ ही नकारात्मक शक्तियों और बुरी प्रवृत्तियों से भी सुरक्षा मिलती है। श्री हनुमान चालीसा का पाठ सुबह या शाम, स्नान के बाद शांत मन से किया जाना चाहिए। पाठ से पहले हनुमान जी का ध्यान करें और दीपक जलाकर उनकी पूजा करें। यदि संभव हो तो श्री हनुमान चालीसा का पाठ 7, 11, 21, 51 या 101 बार करें। नियमित रूप से 40 दिन तक इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
श्री हनुमान चालीसा के पाठ से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह भूत-प्रेत, नकारात्मक शक्तियों और जीवन के संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। किसी भी कठिन कार्य में सफलता पाने के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ विशेष फलदायी होता है।
इसे पढ़ने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। कष्टों से मुक्ति और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। हनुमान जी की कृपा से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है
श्री तुलसीदास जी ने एक बार प्रेत से कहा, मुझे श्री रघुनाथ जी के दर्शन करवा दो। प्रेत ने उत्तर दिया, यदि मैं रघुनाथ जी के दर्शन करा सकता, तो मैं अधम प्रेत क्यों बना रहता? लेकिन मैं आपको एक समाधान बता सकता हूँ। अमुक स्थान पर श्री रामायण की कथा होती है, जहां श्री हनुमान जी वृद्ध के रूप में पधारते हैं। आप उनके चरण पकड़ें, उनकी कृपा से आपकी लालसा पूर्ण हो सकती है। श्री तुलसीदास जी उसी दिन रामायण की कथा में पहुंचे। उन्होंने वृद्ध रूप में श्री हनुमान जी को पहचान लिया और कथा के अंत में उनके चरणों को पकड़ लिया। श्री हनुमान जी गिड़गिड़ाने लगे, लेकिन श्री तुलसीदास जी की निष्ठा और प्रेम से प्रभावित होकर उन्होंने उन्हें मंत्र देकर चित्रकूट में अनुष्ठान करने की अनुमति दी। चित्रकूट पहुंचकर, श्री तुलसीदास जी ने हनुमान जी द्वारा बताए गए मंत्र का अनुष्ठान करना शुरू किया। एक दिन उन्होंने अश्व पर सवार दो कुमारों को देखा, लेकिन ध्यान नहीं दिया। तब श्री हनुमान जी ने प्रकट होकर पूछा, रभु के दर्शन हो गए? जब तुलसीदास जी ने कहा कि वह नहीं देख पाए, तो हनुमान जी ने बताया, वे कुमार तुम्हारे सामने से निकले थे। श्री तुलसीदास जी अत्यंत व्याकुल हो गए, आँसू बहाते हुए उन्होंने कहा, मैं प्रभु को पाकर भी उनसे वंचित रहा! हनुमान जी ने उन्हें धैर्य बंधाया और कहा, तुम्हें पुनः प्रभु के दर्शन होंगे। आखिरकार, हनुमान जी की कृपा से श्री तुलसीदास जी को श्री राम, सीता, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, सुग्रीव, विभीषण और वशिष्ठ जैसे महान व्यक्तियों के दर्शन हुए। श्री तुलसीदास जी ने मंदाकिनी के तट पर श्री राम और लक्ष्मण को चंदन घिसकर तिलक भी कराया। यह मान्यता है कि जब भी श्री तुलसीदास जी को कठिनाई होती, कृपामूर्ति श्री हनुमान जी स्वयं प्रकट होकर उनकी सहायता किया करते थे।
हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अद्भुत और कल्याणकारी स्तोत्र है, जो श्री हनुमान जी के महान गुणों का वर्णन करता है। इसमें चालीस पद हैं, जिनमें हनुमान जी की शक्ति, भक्ति, और सेवाभाव को अत्यंत सरल और हृदयस्पर्शी भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इस चालीसा की भाषा इतनी सुबोध और कल्याणकारी है कि इसे समझना और मनन करना किसी भी भक्त के लिए सरल है। सनातन परंपरा में यह चालीसा अत्यंत लोकप्रिय है, और इसे पढ़ने वाले भक्तों को मानसिक शांति, आत्मिक शक्ति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। चालीसा के पद न केवल शास्त्रीय सिद्धांतों और गहन चिन्तन से युक्त हैं, बल्कि भावुक भक्तों की भावनाओं को भी सजीव रूप में प्रस्तुत करते हैं। हनुमान चालीसा का महत्व इस बात में भी निहित है कि श्री हनुमान जी का चरित्र चारों युगों में और तीनों कालों में सदैव प्रासंगिक रहा है। वेद, उपनिषद, और पुराणों में उनका विस्तृत वर्णन मिलता है, और उनकी पूजा का महत्व युगों-युगों तक स्थिर बना हुआ है। इस चालीसा के माध्यम से हनुमान जी का दिव्य व्यक्तित्व शास्त्रीय आकाश में उज्जवल नीलमणि के समान प्रकाशित होता है।
गोस्वामी तुलसीदास एक महान संत, कवि और भक्त थे, जिनका जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ। वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे और उनकी जीवन यात्रा को रामचरितमानस में समाहित किया। तुलसीदास जी ने भगवान राम की कथा को सरल भाषा में प्रस्तुत किया, जिससे आमजन भी उसे आसानी से समझ सकें। उनके कार्यों ने भारतीय साहित्य और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला है। तुलसीदास जी की अन्य प्रमुख रचनाएँ हनुमान चालीसा, कवितावली, और गिन्तामणि हैं। वे भक्तों के बीच अपनी भक्ति और ज्ञान के लिए सदैव पूजनीय रहेंगे।
हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक स्तोत्र है, जिसमें भगवान हनुमान की महिमा और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। इसे 40 चौपाइयों में लिखा गया है, जिससे इसे चालीसा कहा जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति, बल और साहस मिलता है। इसे संकटों से मुक्ति और समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
संकटमोचन हनुमान चालीसा एक प्रसिद्ध devotional कविता है, जो भगवान हनुमान की स्तुति में रची गई है। इसमें हनुमान जी की महानता, बल, बुद्धि और भक्तों पर कृपा का वर्णन किया गया है। चालीसा में 40 चौपाइयाँ हैं, जो हनुमान जी के गुणों और उनके द्वारा संकटों से मुक्ति दिलाने की शक्तियों का बखान करती हैं। यह भक्तों को मानसिक और भौतिक संकटों से उबरने में सहायता करती है, और इसे नियमित रूप से पाठ करने से सकारात्मकता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मन की शक्ति भी एक महत्वपूर्ण विषय है, जो व्यक्ति के अंदर छिपी क्षमता को उजागर करता है। यह विचारधारा मानती है कि मन के सकारात्मक विचार, विश्वास और आत्म-निर्णय से किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। मन की शक्ति को पहचानकर, व्यक्ति अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकता है और जीवन में सफल हो सकता है। जब व्यक्ति अपने मन की सकारात्मकता को स्वीकारता है, तो वह न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनता है। इस प्रकार, संकटमोचन हनुमान चालीसा और मन की शक्ति का सम्मिलित अध्ययन एक व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि उसे मानसिक स्थिरता और प्रेरणा भी देता है।
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