शिव तांडव एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जो रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति के रूप में रचित किया गया है। इसकी उत्पत्ति उस समय हुई जब रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। अपने अहंकार के कारण, उसने यह चुनौती दी कि वह भगवान शिव के पर्वत को उठा सकता है। जब रावण ने पर्वत को उठाने का प्रयास किया, तब भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाया, जिससे रावण का हाथ दब गया। पीड़ा में वह भयंकर कांप उठा और शंकर कहकर शिवजी से क्षमा मांगने लगा। रावण ने इस संकट के समय शिवजी की महिमा का गान करने का निर्णय लिया। इस भव्य स्तुति में, रावण ने भगवान शिव की अनेक विशेषताओं और शक्तियों का वर्णन किया। उसकी स्तुति सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और रावण को कई वरदान दिए, जिनमें संपूर्ण ज्ञान, विज्ञान, धन, और संतान सुख शामिल थे। शिव तांडव न केवल रावण की विनम्रता का प्रतीक है, बल्कि यह शिव की महिमा और शक्ति का भी गान करता है। आज यह स्तोत्र भक्ति और श्रद्धा के साथ गाया जाता है, और शिव भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
शिव तांडव एक भव्य स्तोत्र है, जिसे रावण ने भगवान शिव की स्तुति में रचा। यह कहानी उस समय की है जब रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया था। अपने अहंकार में डूबा रावण भगवान शिव को चुनौती देता है और पर्वत को उठाने का प्रयास करता है।
जब रावण पर्वत को उठाने की कोशिश करता है, तब भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाया, जिससे रावण का हाथ दब गया और वह पीड़ा से कांप उठा। इस भयानक स्थिति में, रावण ने भगवान शिव से क्षमा मांगी और उनके प्रति अपनी भक्ति प्रकट की।
रावण ने अपनी स्तुति में भगवान शिव की महिमा, शक्ति और रूप का वर्णन किया। इस स्तुति को सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने रावण को कई वरदान दिए, जैसे ज्ञान, धन, समृद्धि, और सिद्धियाँ।
शिव तांडव का पाठ आज भी भक्तिभाव के साथ किया जाता है, और यह शिवभक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्तोत्र माना जाता है। इस स्तुति के माध्यम से भगवान शिव की अनंत महिमा और शक्तियों का गुणगान होता है।
शिव तांडव हिंदी में pdf | Shiv Tandav PDF in Hindi