दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है, जो देवी दुर्गा की स्तुति में लिखा गया है। यह ग्रंथ मार्कंडेय पुराण का एक भाग है और इसमें कुल 700 श्लोक हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी समय देवी की आराधना के लिए पढ़ा जा सकता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ ध्यान और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए। इसे सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से पढ़ा जा सकता है। नवरात्रि के समय विशेष रूप से इसके पाठ का महत्व बढ़ जाता है। दुर्गा सप्तशती की आराधना से भक्त देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मकता अनुभव करते हैं।
दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ लंबा होने के कारण सभी के लिए इसे पढ़ना कठिन हो सकता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति केवल कुछ विशेष श्लोकों का जाप करता है, तो उसे पूर्ण पाठ के समान लाभ मिल सकता है। यहाँ पर सात महत्वपूर्ण श्लोकों का उल्लेख किया गया है, जिनका पाठ करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और विभिन्न कष्ट दूर होते हैं।
ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे = यह श्लोक माँ चामुण्डा की स्तुति करता है और उन्हें भक्ति से याद करता है // दुर्गे स्मृता हरसि दुःखं दुरितं। = यह श्लोक माता दुर्गा को स्मरण करते हुए सभी कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करता है।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। = यह श्लोक माँ दुर्गा को सभी मंगल कार्यों की साक्षी मानता है।
दुर्गा माता महाक्रूरी नमो नमः। = इसमें देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करते हुए उन्हें प्रणाम किया जाता है।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। = यह श्लोक देवी के मातृ रूप का स्मरण करता है, जो सभी प्राणियों में विद्यमान हैं।
नमस्ते दुर्गे सुखं दातुं। = इसमें माँ दुर्गा से सुख और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। // जयंती मंगला काली भद्रकाली कपाली। = यह श्लोक देवी के विभिन्न रूपों की महिमा का बखान करता है।
दुर्गा सप्तशती हिंदी में pdf | Durga Saptashati PDF in Hindi